भिनसारे ले हर-बोलवा मन
रूख ले अलख जगावंय!
झुनकी घुंघरू संग मजीरा
धरे खंजरी गावंय!
भाग देख दरवजा आइन
हर गंगा दुहरावंय!
सबके मंगल अपन संग म
मालिक ले गोहरावंय!
अब अपन हित खातिर पर के
गर म छुरी चलावत हें!

बेंदरा भलुवा धरे मदारी
जब गलियन म घूमय !
डमरू के डम डम ल सुनके
लइका पिचका झूमय!
डांग* चढ़ंय डंग-चगहा* कइ ठन
हुनर अपन देखावंय!
गुप्ती के पैसा अउ कोठी
के अन्न हर ले जावंय!
बस्तरिहा ओ जरी बूटी न
बैद सही अब आवत हें!

गोरखनाथी गोदरिया के
सारंगी जब बाजंय!
काम बुता ल छोड़ के लोगन
खोर गली बर भागंय!
भजन भरथरी अउ गोरख के
गा गा गजब सुनावंय!
हटवरिया* पखवरिया* भर
मेड़ो-डाँड़ो* तक जावंय!
अब तो ठगे जगे बर कतको
गलियन अलख जगावत हें!

खदबदहा* असाढ़ अब बरसय
सावन गजब चुरोवय!
पानी खिरत जात हे दिन दिन
भादो महीना रोवय!
अमली छइहाँ खड़े पहटिया*
चकमक चोंगी खोंचय !

मुड़ म खुमरी* तन भर कमरा
रुख म ओठगे सोचय!
गौचर कब्जाओ करवइया के
गौ हर काय नठावत* हें !

बइहा पूरा तइहा के अउ
नदिया-खंड़* के खेती!
पानी बुड़ गय जमो कमाई
लगय राम के सेती!
हाट बाट अउ गांव गंवतरी
सपना लागय जावब!
गरीब दुबर के चिंता बाढय़
का पीयब का खावब!
धंधा पार उतारे के अब
केवट के दुबरावत हें!

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